तरुण प्रकाश श्रीवास्तव , सीनियर एग्जीक्यूटिव एडीटर-ICN ग्रुप
(श्रीमद्भागवत गीता का काव्यमय भावानुवाद)
प्रथम अध्याय (अर्जुन विषाद योग)
(छंद 8-14)
दुर्योधन : (श्लोक 3-11)
पक्ष में निज वीर भी, परिचित कराता आप से मैं।
आप सा पा श्रेष्ठ योद्धा, मुक्त हूँ संताप से मैं ।।
हैं पितामह भीष्म की, अब तक न युग में काट कोई।
कर्ण के आगे ठहर सकता नहीं सम्राट कोई।।(8)
अश्वत्थामा आपका ही पुत्र निज दल में खड़ा है।
हैं कृपा आचार्य दल में, नाम ही जिनका बड़ा है।।
भूरिश्रेवा है महायोद्धा, सभी यह जानते हैं।
श्रेष्ठ भ्रातु विकर्ण का लोहा सभी जन मानते हैं।। (9)
सिर्फ़ इतने ही नहीं, निज पक्ष वीरों से भरा है।
युद्ध में जो हैं निपुण, हर भाँति यह सोना खरा है।।
शस्त्र में और अस्त्र में, इनका नहीं है कोई सानी।
पाँडवों का दंभ निश्चित युद्ध में मांगेगा पानी।।(10)
है हमारी वीर सेना हर तरह से श्रेष्ठ गुरुवर।
है पितामह भीष्म से रक्षित, विजय पथ में भयंकर।।
कर्म सबका है रहे निज मोर्चे पर काल जैसे।
सब तरफ रक्षा पितामह की करें हम ढाल जैसे।।(11)
संजय : (श्लोक 12-27)
कौरवों में श्रेष्ठ गंगापुत्र ने तब शंख फू़ँका।
सिंह की गर्जन सरीखा स्वर वहाँ गूँजा अचूका।।
युद्ध के वातावरण में, घोर उत्सव छा गया तब।
हर्ष मुख को ज्येष्ठ कौरव पुत्र के चमका गया तब।।(12)
युद्ध में हर ओर गूँजे शंखध्वनि, बाजे, नगाड़े।
पढ़ रहा है युद्ध स्थल, शोर के चह़ुँदिस पहाड़े।।
गू़ँजते हैं नाद, नरसिंघे, मृदंगी स्वर भयंकर।
काँपता हो भूमि का अंतर प्रलय से ज्यों निरंतर।।(13)
श्वेत अश्वों से सुसज्जित रथ संभाले देवकीसुत।
हैं बजाते शंख अपना पांचजन्य निर्भीक अच्युत।।
और अर्जुन ने बजाया शंख अपना तीव्र रण में।
भीम ने है पौण्ड्र फूँका युद्ध के वातावरण में।।(14)
(क्रमशः)
-तरुण प्रकाश श्रीवास्तव
विशेष : गीत-गीता, श्रीमद्भागवत गीता का काव्यमय भावानुवाद है तथा इसमें महान् ग्रंथ गीता के समस्त अट्ठारह अध्यायों के 700 श्लोकों का काव्यमय भावानुवाद अलग-अलग प्रकार के छंदों में कुल 700 हिंदी के छंदों में किया गया है। संपूर्ण गीता के काव्यमय भावानुवाद को धारावाहिक के रूप में अपने पाठकों के लिये प्रकाशित करते हुये आई.सी.एन. को अत्यंत प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है।